विज्ञान और तकनीक की दुनिया में हर दिन नए चमत्कार सामने आ रहे हैं। अब ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने एक ऐसी अभूतपूर्व तकनीक विकसित की है, जो आंखों की तस्वीरों से ही हृदय और गुर्दे की बीमारियों का पता लगाने में सक्षम होगी। यह खोज न केवल चिकित्सा विज्ञान के लिए एक क्रांतिकारी कदम है, बल्कि भविष्य में उन लाखों लोगों के लिए जीवनरक्षक साबित हो सकती है, जो महंगे और जटिल टेस्ट न करा पाने के कारण समय पर इलाज से वंचित रह जाते हैं।
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न के वैज्ञानिकों ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित सिस्टम तैयार किया है, जो रेटिना — यानी आंख के पिछले हिस्से — की हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरों का विश्लेषण कर सकता है। रेटिना में मौजूद सूक्ष्म रक्त वाहिकाएँ शरीर की अन्य नसों की स्थिति को भी दर्शाती हैं। इन वाहिकाओं में आने वाले बदलावों से वैज्ञानिक यह समझ सकते हैं कि व्यक्ति के हृदय या गुर्दे में किस प्रकार की समस्याएँ विकसित हो रही हैं।
दरअसल, हृदय और गुर्दे की बीमारियाँ अक्सर शुरुआती चरण में स्पष्ट लक्षण नहीं दिखातीं। मरीजों को तब पता चलता है जब बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। ऐसे में डॉक्टरों को ब्लड टेस्ट, ईसीजी, ईको, या किडनी फंक्शन टेस्ट जैसे कई जांचों का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन यह नई तकनीक केवल आंखों की एक साधारण फोटो लेकर ही बीमारी की संभावनाओं का संकेत दे सकती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीक “डीप लर्निंग” एल्गोरिद्म पर आधारित है। इसे हजारों मरीजों की आंखों की तस्वीरों और मेडिकल रिपोर्ट्स के डेटा से प्रशिक्षित किया गया है। एआई मॉडल ने सीखा कि रेटिना में मौजूद पैटर्न और रक्त वाहिकाओं के आकार में सूक्ष्म परिवर्तन किस प्रकार से हृदय रोग या गुर्दे की खराबी से जुड़े हैं। नतीजे बताते हैं कि यह सिस्टम 80 से 90 प्रतिशत तक सटीकता के साथ बीमारी की भविष्यवाणी कर सकता है।
इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह सस्ती, तेज़ और गैर-आक्रामक है — यानी इसमें किसी तरह की सुई, खून या दर्द की जरूरत नहीं होती। केवल एक कैमरे से ली गई आंख की फोटो और एआई का विश्लेषण पर्याप्त है। इससे दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को भी जांच की सुविधा मिल सकेगी, जहाँ अस्पताल या विशेषज्ञ डॉक्टरों की पहुँच सीमित है।
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक आने वाले कुछ वर्षों में मोबाइल फोन ऐप या पोर्टेबल स्कैनिंग डिवाइस के रूप में आम लोगों तक पहुँचाई जा सकती है। इसका मतलब यह होगा कि भविष्य में केवल एक स्मार्टफोन और लेंस अटैचमेंट की मदद से व्यक्ति अपनी आंख की तस्वीर लेकर अपने हृदय और गुर्दे की स्थिति का प्रारंभिक आकलन कर सकेगा। इससे समय पर निदान और रोकथाम संभव हो सकेगी।
चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस खोज को “हेल्थकेयर का भविष्य” बताया है। उनका कहना है कि आंख मानव शरीर की वह खिड़की है, जो न केवल दृष्टि देती है बल्कि शरीर के भीतर चल रहे कई रोगों की कहानी भी कहती है। पहले से ही डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों की पहचान रेटिना स्कैनिंग से की जाती रही है, और अब हृदय तथा गुर्दे की बीमारियों का पता लगाना इस क्षेत्र की दिशा को और विस्तृत करेगा।
हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तकनीक अभी परीक्षण के उन्नत चरण में है और इसे व्यावहारिक उपयोग में लाने से पहले विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मानकों और नैतिक स्वीकृतियों की आवश्यकता होगी। इसके बावजूद चिकित्सा जगत इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि मान रहा है, जो हेल्थ मॉनिटरिंग को सरल, सुलभ और सुरक्षित बनाएगी।
