भारत की आर्थिक विकास दर ने एक बार फिर वैश्विक अर्थव्यवस्था को हैरान कर दिया है। दुनिया जब मंदी, महंगाई, युद्ध और आपूर्ति श्रृंखला के संकटों से जूझ रही है, तब भारत ने न केवल स्थिरता बनाए रखी है बल्कि विकास की ऐसी गति दिखाई है, जिसने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों और विशेषज्ञों को भी अपनी आकलन रिपोर्टें बदलने पर मजबूर किया है। यह प्रदर्शन केवल आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि उस भरोसे का संकेत है जो भारत की नीतियों, बाजार और जनसंख्या की उत्पादक क्षमता पर दुनिया दिखा रही है। पिछले वर्षों में भारत ने जिस तरह वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी 7' से अधिक विकास दर बनाए रखी है, वह किसी भी अन्य बड़े देश के लिए दुर्लभ उपलब्धि है। अमेरिकी, यूरोपीय और एशियाई बाजारों में धीमेपन के बावजूद भारत का तेज़ी से बढऩा यह दर्शाता है कि देश की अर्थव्यवस्था अब घरेलू मांग, तकनीक आधारित विकास और मजबूत सेवा क्षेत्र की बदौलत नई ऊँचाइयों की ओर बढ़ रही है। आईटी, डिजिटल भुगतान, स्टार्टअप्स, विनिर्माण, बुनियादी ढाँचे और ऊर्जा क्षेत्र में जो निवेश हुए हैं, उनका असर अब साफ दिखने लगा है। सरकार के पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी, सडक़-रेल-बंदरगाह निर्माण, उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन और वित्तीय सुधारों ने उद्योग जगत को नई ऊर्जा दी है। दूसरी ओर, युवा आबादी, तेज़ी से फैलता डिजिटल इकोसिस्टम, और उपभोग की बढ़ती क्षमता भारत को दुनिया के सबसे आकर्षक बाजारों में बदल रहे हैं। यही कारण है कि वैश्विक कंपनियाँ भारत को न सिर्फ निवेश का केंद्र बल्कि भविष्य की आर्थिक शक्ति के रूप में देखने लगी हैं। परंतु इस चमकते प्रदर्शन के साथ चुनौतियाँ भी मौजूद हैं। बेरोजगारी, महंगाई, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की धीमी गति और निर्यात में उतार-चढ़ाव ऐसे मुद्दे हैं जिनसे नज़रें नहीं चुराई जा सकतीं। भारत की आर्थिक विकास कहानी तब पूरी मानी जाएगी जब यह वृद्धि व्यापक और समावेशी हो, यानी इसका लाभ गाँव, किसान, छोटे व्यापारियों और श्रमिक वर्ग तक पहुँचे। विकास दर को स्थायी बनाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास में अधिक निवेश की आवश्यकता है। फिर भी यह सच है कि भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी है। वैश्विक मंच पर भारत की साख बढ़ी है और दुनिया की निगाहें अब भारत को एक निर्णायक आर्थिक शक्ति के रूप में देख रही हैं। यह अवसर है कि देश इस गति को बनाए रखते हुए चुनौतियों को अवसर में बदले और आने वाले वर्षों में विश्व अर्थव्यवस्था का नया नेतृत्वकर्ता बने।
-संदीप साहू
